डेयरी किसानों के लिए आसान बातें: पशु, देखभाल और साफ़ दूध
- KafilaAgro CattleFeed
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डेयरी किसानों के लिए आसान बातें: पशु, देखभाल और साफ़ दूध
नमस्ते किसान भाइयों!
एक अच्छा डेयरी किसान बनना है तो कुछ आसान बातें याद रखनी होंगी। जैसे अपने गाय-भैंस का बच्चा पैदा करने का सही समय, गाभिन पशुओं का ध्यान रखना, छोटे बछड़ों की देखभाल करना और साफ़ दूध निकालना। ये सब करके आपके पशु भी स्वस्थ रहेंगे और आपका दूध भी ज़्यादा होगा।
काफिला एग्रो आपको बिहार सरकार की कुछ ज़रूरी बातें आसान भाषा में बता रहा है।
डेयरी किसानों के लिए आसान बातें: पशु, देखभाल और साफ़ दूध
जाने इस पोस्ट में क्या क्या है:
1. गाय-भैंस का बच्चा पैदा करने का सही समय (पशु प्रजनन)
देशी गाय करीब 2 साल में, देशी भैंस 3 साल में और जो ख़ास नस्ल की गाय होती है वो 15-18 महीने में बच्चा देने लायक हो जाती है।
जब आपकी गाय-भैंस पहली बार 'गरम' हो, तो उसे तुरंत गर्भित न कराएं। 1-2 बार गरम होने के बाद कराएं।
हमारी यहाँ भैंसें ज़्यादातर बरसात में गर्भधारण करती हैं, तो उस समय गर्भित कराना अच्छा होता है।
गाय-भैंस हर 21 दिन में गरम होती हैं।
गर्भित कराने का सही समय है जब वह गर्मी की आधी से ज़्यादा अवस्था में हो (लगभग 12-18 घंटे बाद)। अगर शाम को गरम हुई है तो सुबह कराएं, सुबह हुई है तो शाम को कराएं।
एक बच्चे से दूसरे बच्चे के जन्म में 12-13 महीने का अंतर ठीक रहता है। बच्चा देने के 3 महीने बाद फिर से गर्भित करा सकते हैं।
गरम गाय-भैंस को नहलाकर गर्भित कराएं, और गर्भित कराने के बाद नहलाने से अच्छा होता है।
अपने पशु को अच्छा खाना, खनिज (मिनरल) और नमक खिलाते रहें ताकि वो समय पर गर्भधारण कर सके। समय-समय पर पेट के कीड़े मारने की दवा भी दें।

2. कृत्रिम गर्भाधान: आसान तरीका
गाय-भैंस को कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) से गर्भित कराना अच्छा होता है।
जब पशु गरम हो तो सांड ढूंढने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
एक सीखा हुआ आदमी अच्छी नस्ल के सांड का वीर्य डालकर गर्भित कर देता है।
इससे एक अच्छे सांड से कई पशु गर्भित हो सकते हैं और नस्ल जल्दी सुधरती है।
बीमारियों से भी बचाव होता है और यह सस्ता भी है।

3. गाभिन पशु की देखभाल
छोटी बछिया का शुरू से ध्यान रखेंगे तो वो जल्दी बड़ी होकर बच्चा देने लायक हो जाएगी।
गाभिन पशु के पेट में बच्चा 6-7 महीने में तेज़ी से बढ़ता है।
6-7 महीने की गाभिन गाय-भैंस को ज़्यादा दूर चराने न ले जाएं और खराब रास्तों पर न घुमाएं।
अगर गाभिन पशु दूध दे रही है तो 7वें महीने के बाद दूध निकालना बंद कर दें।
उसके उठने-बैठने की अच्छी जगह हो। जहां वो बंधती है, पीछे का फर्श थोड़ा ऊँचा हो।
अच्छा खाना: गाभिन पशु को अच्छा खाना दें ताकि ब्याने के समय कोई बीमारी न हो और दूध भी ज़्यादा दे। रोज़ाना हरा चारा, सूखा चारा, संतुलित आहार, खल्ली, खनिज और नमक दें।
उसे रोज़ाना खूब साफ़ पानी पीने को दें।
पहली बार गाभिन होने पर 6-7 महीने बाद उसे दूसरी दूध देने वाली गायों के साथ बांधें और उसके शरीर की मालिश करें।
ब्याने से 4-5 दिन पहले उसे एक साफ़, हवादार और रोशनी वाली अलग जगह पर बांधें। नीचे सूखा चारा बिछाएं।
ब्याने से 1-2 दिन पहले उस पर ध्यान रखें।
4. ब्याने के समय और बाद में देखभाल
ब्याने के समय: ब्याने से एक दिन पहले पशु के जनन अंग से पानी जैसा कुछ निकलता है। हर घंटे उस पर नज़र रखें। जब बच्चा निकलने लगे और दिक्कत हो तो अनुभवी आदमी की मदद लें। अगर कुछ गड़बड़ लगे तो डॉक्टर को बुलाएं।
ब्याने के बाद: जेर (placenta) गिरने का इंतज़ार करें (लगभग 10-12 घंटे)। गिरने के बाद उसे ज़मीन में गाड़ दें। अगर 24 घंटे तक न गिरे तो डॉक्टर को बुलाकर निकलवाएं।
ब्याने के 15-20 मिनट बाद दूध निकालें। पशु थका होता है तो उसे आसानी से पचने वाला खाना जैसे गर्म चावल, उबला बाजरा, गुड़ आदि दें।
उसे खूब हरा चारा और पानी दें, पर ज़्यादा गर्म पानी न दें। जेर गिरने के बाद उसे नहलाएं।
ब्याने के बाद अगर कोई बीमारी हो तो तुरंत डॉक्टर को बुलाएं।
ब्याने के बाद गाय-भैंस 45-60 दिन में फिर से गरम होती है, पर अगली बार गरम होने पर ही गर्भित कराएं। अगर ज़्यादा दिन हो जाएं और गरम न हो तो डॉक्टर को दिखाएं।

5. छोटे बछड़े/बछियों की देखभाल और पहला दूध (खीस)
खीस का फायदा: छोटे बछड़ों में बीमारी से लड़ने की ताकत कम होती है। पहला दूध (खीस) पिलाना बहुत ज़रूरी है। यह माँ से बीमारी से लड़ने की ताकत बच्चे में पहुंचाता है। इसमें आम दूध से ज़्यादा प्रोटीन और विटामिन होते हैं। यह बच्चे का पेट भी साफ़ करता है।
देखभाल:
जन्म के तुरंत बाद बच्चे की नाक और मुँह साफ़ करें।
सांस लेने में दिक्कत हो तो छाती पर धीरे-धीरे मालिश करें।
पूरे शरीर को अच्छे से साफ़ करें।
उसे पहला दूध (खीस) ज़रूर पिलाएं, जन्म के आधे घंटे के अंदर। दिन में 3-4 बार पिलाएं।
2 महीने तक दूध पिलाते रहें।
तीसरे हफ्ते और फिर 3 व 6 महीने में पेट के कीड़े मारने की दवा दें।
एक महीने का होने पर थोड़ी कोमल घास और शिशु-आहार दें।
तीन महीने का होने पर डॉक्टर से टीके लगवाएं।
छोटे बछड़ों को सुरक्षित जगह पर रखें।
6. साफ़ दूध उत्पादन: क्यों और कैसे?
साफ़ दूध निकालना ज़रूरी है क्योंकि गंदा दूध बीमारी फैला सकता है और जल्दी खराब हो जाता है, जिससे दाम कम मिलता है। साफ़ दूध मतलब है साफ़ जगह, साफ़ पशुओं से निकाला गया दूध, जिसमें गंदगी और बुरे बैक्टीरिया कम हों।

किसान भाइयों, ये आसान बातें याद रखकर आप अपनी डेयरी को और भी अच्छा बना सकते हैं। काफिला एग्रो हमेशा आपके साथ है, आपको अच्छा पशु आहार देने के लिए।
अगर आपके कोई सवाल हों तो हमें ज़रूर बताएं!
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